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राजस्थान में पशु धन Livestock In Rajasthan
देश में पशुधन गणना वर्ष 1919-20 से ही समय-समय पर की जाती रही है। पशुधन गणना में सभी पालतू जानवरों और उनकी संख्या को कवर किया जाता है।
20वीं पशुधन गणना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी से आयोजित की गई। यह गणना ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में की गई। पशुओं (मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू , खच्चर, गधा ऊंट, कुत्ता,
खरगोश और हाथी) के विभिन्न नस्लों और घरों, रों घरेलू उद्यमों/मोंगैर-घरेलू उद्यमों और संस्थानों में मौजूद पोल्ट्री पक्षियों (यों मुर्गी, बतख, एमु, टर्की, बटेर और अन्य पोल्ट्री पक्षियों) यों की गणना संबंधित स्थलों पर ही की गई है ।
Facts-
प्रत्येक 5 वर्ष में पशु गणना की जाती है।
स्वतंत्रता के पश्चात् पहली पशु गणना 1951 में की गई।
20वीं पशुधन गणना में 27 करोड़ से भी अधिक घरेलू एवं गैर-घरेलू मवेशी के आंकड़ों का संग्रह किया गया है, ताकि देश में पशुधन और पोल्ट्री की कुल संख्या का सटीक आकलन किया जा सके।
20 वीं पशुधन गणना 2019 मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग ने अक्टूबर 2019 में, 20 वीं पशुधन गणना 2019 के लिए अनंतिम परिणाम जारी किए।
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Rajasthan 20th Livestock Census
देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन (53 करोड़ 57 लाख) है जो पशुधन गणना- 2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है।
Rajasthan me pashu sampada Notes PDF 20 वीं पशुगणना के अनुसार राजस्थान में कुल पशुधन 56.8 मिलियन(5.68 करोड़) है। जो कि 2012 की 57.7 मिलियन(5.77 करोड़) था। इस प्रकार 2019 में कुल पशुओं की संख्या में 1.66 प्रतिशत की कमी देखी गई है। राजस्थान 56.8 मिलियन पशुओं के साथ भारत में दूसरे स्थान पर है। पहला स्थान उत्तर प्रदेश का है।
राजस्थान गोवंश के मामले में 2012 के 13.3 मिलियन की तुलना में 2019 में 13.9 मिलियन पशुओं के साथ छठे स्थान पर हैं। गोवंश में 4.41% की वृद्धि हुई है।
RAJASTHAN भैंसो के मामले में 2012 के 13.0 मिलियन की तुलना में 2019 में 13.7 मिलियन पशुओं के साथ दूसरे स्थान पर हैं। भैंसों में 5.53% की वृद्धि हुई है।
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राजस्थान भेड़ की संख्या के मामले में 2012 के 9.1 मिलियन की तुलना में 2019 में 7.9 मिलियन पशुओं के साथ चौथे स्थान पर हैं। भेड़ में 12.95% की कमी हुई है। राजस्थान बकरी के मामले में 2012 के 21.67 मिलियन की तुलना में 2019 में 20.84
मिलियन पशुओं के साथ पहले स्थान पर हैं। बकरियों की संख्या में 3.81% की कमी हुई है।
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RAJASTHAN ऊंट के मामले में 2012 के 3.26 मिलियन की तुलना में 2019 में 2.13 मिलियन पशुओं के साथ पहले स्थान पर हैं। ऊंटों की संख्या में 34.69% की कमी हुई है Rajasthan me pashu sampada Notes PDF।
राजस्थान घोड़ों के मामले में 2012 के 0.38 मिलियन की तुलना में 2019 में 0.34 मिलियन पशुओं के साथ तीसरे स्थान पर हैं। घोड़ों की संख्या में में 10.85% की कमी हुई है।
राजस्थान गधों के मामले में 2012 के 0.81 मिलियन की तुलना में 2019 में 0.23 मिलियन पशुओं के साथ पहले स्थान पर हैं। गधों में 71.31% की कमी हुई है।
Rajathan me Pashu Sampda
S.N | पशु | कुल संख्या(Millions) | राजस्थान का देश में स्थान | देश में प्रथम | राज्य में प्रथम | राज्य में न्यूनतम |
1 | बकरी | 20.84 | प्रथम | राजस्थान | बाड़मेर | धौलपुर |
2 | गाय | 13.9 | छठा | पश्चिम बंगाल | उदयपुर | धौलपुर |
3 | भेंस | 13.7 | दूसरा | उत्तर प्रदेश | जयपुर | जैसलमेर |
4 | भेड़ | 7.9 | चोथा | तेलंगाना | बाड़मेर | बांसवाडा |
5 | ऊंट | 2.13 | पहला | राजस्थान | जैसलमेर | प्रतापगढ़ |
6 | घोड़े | 0.34 | तीसरा | उत्तर प्रदेश | बीकानेर | डूंगरपुर |
7 | गधे | 0.23 | पहला | राजस्थान | बाड़मेर | टोंक |
8 | सूअर | —- | —- | असम | भरतपुर | डूंगरपुर |
राजस्थान में प्रमुख पशु मेले
पशु मेला नाम | जिला |
बलदेव पशु मेला मेड़ता शहर | नागौर |
वीर तेजाजी पशु मेला परबतसर | नागौर |
महाशिवरात्री पशु मेला | करौली |
जसवन्त पशु मेला | भरतपुर |
कार्तिक पशु मेला पुष्कर | अजमेर |
गोगामेड़ी पशु मेला गोगामेड़ी | नोहर |
मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाड़ा | बाड़मेर |
गोमती सागर पशु मेला | झालावाड़ |
चन्द्रभागा पशु मेला | झालावाड़ |
रामदेव पशु मेला | नागौर |
राजस्थान में पशु प्रजनन केन्द्र – Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
- केन्द्रीय भेड़ प्रजनन केन्द्र – अविकानगर, टोंक।
- केन्द्रीय बकरी अनुसंधान केन्द्र – अविकानगर,टोंक।
- बकरी विकास एवं चारा उत्पादन केन्द्र – रामसर, अजमेर। Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
- केन्द्रीय ऊंट प्रजनन केन्द्र – जोहड़बीड़, बीकानेर(1984 में)।
- भैंस प्रजनन केन्द्र – वल्लभनगर, उदयपुर।
- केन्द्रीय अश्व प्रजनन केन्द्र –
- विलड़ा – जोधपुर
- जोहड़बिड़ – बीकानेर।
- सुअर फार्म – अलवर।
- पोल्ट्री फार्म – जयपुर।
- कुक्कड़ शाला – अजमेर।
- गाय भैंस का कृत्रिम गर्भाधारण केन्द्र (फ्रोजन सिमन बैंक)
- बस्सी, जयपुर
- मण्डौर, जोधपुर
- राज्य भेड़ प्रजनन केन्द्र – चित्तौड़गढ़, जयपुर, फतेहपुर(सीकर), बांकलिया(नागौर)
- राज्य गौवंश प्रजनन केन्द्र – बस्सी(जयपुर), कुम्हेर(भरतपुर), डग(झालावाड़), नोहर(हनुमानगढ़), चांदन(जैसलमेर), नागौर।
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राजस्थान में प्रमुख पशु धन और उनकी नश्ल Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
Rajasthan me pramukh pashu dhan में प्रमुख पशु धन जैसे- बकरी, भेंस , भेड़, ऊंट , गधे आदि पाए जाते है.
बकरी Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
राजस्थान में सबसे बड़ा पशुधन बकरियां है। 20 वीं पशु गणना के अनुसार इनकी कुल संख्या 20.84 मिलियन थी। बकरी पालन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है।
भारत की समस्त बकरियों (148. 88 यों मिलियन) का 13.99 प्रतिशत भाग राजस्थान में पाया जाता है। तथा राजस्थान की कुल पशु-सम्पदा में बकरियों की संख्या 36. 69 प्रतिशत है।केन्द्रीय बकरी अनुसंधान केन्द्र अविकानगर, टोंकटों में स्थित है।
बकरी की नस्ल–
- जमनापारी – सर्वाधिक दुध देने वाली बकरी (कोटा, बूंदी, झालावाड़)
- लोही – सर्वाधिक मांस देने वाली बकरी
- जखराना – सर्वाधिक दुध व सांस देने वाली श्रेष्ठ नस्ल (अलवर जिले एवं आस
पास के क्षेत्रों में) - बरबरी – सुन्दर बकरी(भरतपुर, सवाई माधोपुर)
अन्य बकरी की नस्ल – परबतसरी, सिरोही व मारवाड़ी।
गाय
भारत की समस्त गायों (192.49 यों मिलियन) का 6.98 प्रतिशत भाग राजस्थान में पाया
जाता है। तथा राजस्थान की कुल पशु-सम्पदा में गौ-वंश की संख्या 24.47 प्रतिशत
है।
गौ वंश की नस्लें
- गिर गाय
उद्गम – गिर प्रदेश(गुजरात)।
इसे राजस्थान में रैण्डा व अजमेरी, काठियावाड़ी, देसान भी कहते हैं। इस नस्ल की गायें अजमेर, भीलवाड़ा, पाली व चित्तौड़गढ़ जिलों में पायी जाती है। - राठी
लालसिंधी एवं साहिवाल की मिश्रण नस्ल। Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
सर्वाधिक दुध देने वाली गाय की श्रेष्ठ नस्ल। इस कारण इसे राजस्थान की कामधेनु कहा जाता है।
यह राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भागों में बीकानेर, श्रीगंगानगर, जैसलमेर व चूरू के कुछ भागों में पाली जाती है। - थारपारकर
उद्गम – बाड़मेर का मालाणी प्रदेश।
दुसरी सर्वाधिक दुध देने वाली गाय।
स्थानीय भागों में “मालाणी नस्ल” के नाम से जाना जाता है।
उत्तरी – पश्चिमी सीमावर्ती जिले – जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर व जालौर में
इस नस्ल की गाय अधिक संख्या में पायी जाती है।। - नागौरी
उद्गम – नागौरी का सुहालक प्रदेश।
इसका बैल चुस्त व मजबुत कद काठी का होता है। इस नस्ल की गाये नागौर, जोधपुर के उत्तरी-पूर्वी भाग व नोखा (बीकानेर) में प्रमुखता से पायी जाती है। - कांकरेज Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
उद्गम – कच्छ का रन।
इस नस्ल के बैल अच्छे भार वाहक होते हैं। इसी कारण इस नस्ल के गौ-वंश को “द्वि-परियोजनीय नस्ल” कहते है।
इस नस्ल की गाये राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी भागों बाड़मेर, सिरोही, जालौर तथा जोधपुर के कुछ क्षेत्रों में पाली जाती है। - सांचौरी – इस नस्ल की गाये जालौर जिले के सांचौर, सिरोही एवं उदयपुर जिलों में
पाई जाती है। - मेवाती/कोठी – अलवर, भरतपुर,कोठी(धौलपुर)।
- मालवी – मध्यप्रदेश की सीमा वाले जिले (झालावाड़, बाँरा, कोटा व चित्तौड़गढ़)।
- हरियाणवी – हरियाणा के सीमा वाले जिले (सीकर, झुन्झुनूं, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, अलवर व भरतपुर)।
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भेड़
भेड़ पालन में राजस्थान का देश में चौथा स्थान है। भारत की समस्त भेड़ों (74.26 मिलियन) का लगभग 10.63 प्रतिशत भाग यानि 79.04 लाख भेड़ें राजस्थान में पाया जाता है। तथा राजस्थान की कुल पशु-सम्पदा में भेड़ की संख्या लगभग 13.90 प्रतिशत है।
भेड़ की नस्लें
- चोकला(शेखावटी)
इसका ऊन श्रेष्ठ किस्म का होता है इसे भारत की मेरिनों कहते है।
क्षेत्र -चुरू, सीकर, झुन्झुनू। - जैसलमेरी
सर्वाधिक ऊन देने वाली भेड़ की नस्ल। Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
क्षेत्र – जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर। - नाली
इसका ऊन लम्बे रेशे का होता है, जिसका उपयोग कालीन बनाने में किया जाता है।
क्षेत्र – गंगानगर, बीकानेर, चुरू, झुन्झुनू। - मगरा
सर्वाधिक मांस देने वाली नस्ल।
क्षेत्र – जैसलमेर, बीकानेर, चुरू, नागौर। - मारवाड़ी
राजस्थान की कुल भेड़ों में सर्वाधिक भेड़ें मारवाड़ी नस्ल (लगभग 45 प्रतिशत) की है।
इसमें सर्वाधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है।
क्षेत्र – जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर। - सोनाड़ी/चनोथर
लम्बे कान वाली नस्ल।
क्षेत्र – उदयपुर, डुंगरपुर, बांसवाड़ा। - पूगल
इनका उत्पत्ति स्थान बीकानेर की तहसील “पूगल” होने के कारण इस का नाम पूगल
हो गया।
इस नस्ल को मटन और कालीन ऊन प्राप्ति के लिए पाला जाता है। - मालपुरी/अविका नगरी
इसे “देशी नस्ल” भी कहा जाता है।
टोंकटों , बुंदी, जयपुर। - खेरी नश्ल
भेंस – Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
भैंस पालन में राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर आता हैं। भारत की समस्त भैंसों
(109.85 मिलियन) का लगभग 12.47 प्रतिशत भाग राजस्थान में पाया जाता है। तथा
राजस्थान की कुल पशु-सम्पदा में भैंस की संख्या लगभग 24.11 प्रतिशत है।
भैंस की नस्ल
- मुर्रा(कुन्नी)
अन्य नाम – खुंडी, काली
सर्वाधिक दुध देने वाली भैंस की नस्ल।
जयपुर, अलवर। - बदावरी
इसके दुध में सर्वाधिक वसा होती है।
भरतपुर, सवाई माधोपुर, अलवर। - जाफाराबादी
भैंस की श्रेष्ठ नस्ल।
कोटा, बांरा, झालावाड़।
4.सूरती
अन्य नाम – डेक्कानि, गुजराती, तलब्दा, चरतोर व नदि आदि
राजस्थान में यह नस्ल उदयपुर के आसपास व दक्षिण भाग में पाई जाती हैं।
अन्य नस्ल – नागपुरी, मेहसाना।
ऊंट
ऊंट
अन्य पशुधन में ऊंटों की संख्या सर्वाधिक है। ‘रेगिस्तान का जहाज’ के नाम से प्रसिद्ध इस पशु ने अपनी अनूठी जैव-भौतिकीय विशेषताओं के कारण यह शुष्क एवं उर्द्ध शुष्क क्षेत्रों की विषमताओं में जीवनयापन की अनुकूलनता का प्रतीक बन गया
है। भारत के समस्त ऊंटों (2.5 टों लाख) का 85.2 प्रतिशत भाग राजस्थान में पाया जाता है। तथा राजस्थान की कुल पशु-सम्पदा में ऊँटों की संख्या 0.36 प्रतिशत है।
ऊंट की नस्ल
- नांचना
यह ऊँट सबसे सुन्दर ऊँट माना जाता है।
सवारी व तेज दौड़ने की दृष्टि से महत्वपूर्ण ऊंट।
BSF जवानो के पास यही ऊँट मिलता है।
राजस्थान में नाचना ऊँट सर्वाधिक जैसलमेर में पाया जाता है। - गोमठ
भारवाहक के रूप में प्रसिद्ध ऊंट।
गोमठ ऊंट सर्वाधिक जोधपुर की फलोदी तहसिल में पाया जाता है। - बीकानेर
श्रेष्ठ भारवहन क्षमता के लिए जाना जाता है ।
यह नस्ल राजस्थान के श्री गंगानगर, चुरू, झूंझझूं नू, सीकर एवं नागौर तथा सीमा से लगे
हरियाणा एवं पंजाब राज्यों में भी पायी जाती है। - जैसलमेरी
जैसलमेरी ऊँट स्वभाव से फुर्तीले एवं पूर्ण ऊँचाई व पतली टांगों वाले होते हैं।
जैसलमेरी ऊंट मतवाली चाल के लिए प्रसिद्ध।
प्रमुख क्षेत्र – यह नस्ल रेतीले धोरे वाले क्षेत्रों जैसलमेर, बाड़मेर एवं जोधपुर जिले में
पाए जाते है। - मेवाड़ी ऊँट
ऊँट की यह नस्ल अपनी दुग्ध उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।
इस नस्ल का प्रमुख निवास क्षेत्र राजस्थान के उदयपुर, चित्तौडगढ़, राजसमन्द जिले
हैं। किन्तु यह भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपूर जिलों तथा राजस्थान के हाड़ौती में भी
देखे जा सकते हैं ।
अन्य नस्ल – अलवरी, बाड़मेरी, कच्छी ऊंट, सिन्धी ऊंट।
घोड़े – Rajasthan me pashu sampada Notes PDF
घोड़े की नस्ल
- मालाणी – बाड़मेरी, जोधपुर।
- मारवाड़ी – जोधपुर, बाड़मेर, पाली, जालौर।
- “अश्व विकास कार्यक्रम” पशुपालन विभाग द्वारा संचालित -मालाणी घोडे नस्ल सुधार हेतु।
- केन्द्रीय अश्व उत्पादन परिसर- बीकानेर के जोडबीड स्थित इस संस्था में चेतक घोडे के वंशज तैयार किये जाएंगे।