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लोक देवी करणी माता
- करणी माता चारणों की कुलदेवी एवं बीकानेर के राठौड़ों की इष्ट देवी है।
- करणी माता का जन्म सुआप गांव (जोधपुर) में हुआ था।
- करणी माता के पिता का नाम – मेहाजी जी चारण।
- करणी माता के माता का नाम – देवलबाई।
- करणी माता का बचपन का नाम – रिद्धि बाई।
- करणी माता के उपनाम – डोकरी, चूहों की देवी, जोगमाया, जगत माता का अवतार आदि।
- सफेद चील को करणी माता का रूप माना जाता है।
- करणी माता का मुख्य मंदिर देशनोक (बीकानेर) में है।
- देशनोक बीकानेर में करणी माता के मंदिर की नींव स्वयं करणी माता ने रखी थी।
- करणी माता के इस मूल मंदिर का निर्माण राव राजा जैतसिंह द्वारा 19वीं शताब्दी में करवाया गया।
- करणी माता के इस मंदिर का वर्तमान भव्य स्वरूप महाराजा सूरत सिंह ने तैयार करवाया था।
- करणी माता के इस मंदिर में सर्वाधिक चूहे पाए जाते हैं, इसलिए इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है।
- करणी माता के इस मंदिर में पाए जाने वाले सफेद चूहों को काबा कहा जाता है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- करणी माता के इस मंदिर में दो कढ़ाई स्थित है, जिनके नाम – “सावन-भादो कड़ाइयाँ” हैं।
- करणी माता के इस मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र एवं आश्विन के नवरात्र में मेला लगता है।
अन्य तथ्य
- करणी माता ने अपनी बहन गुलाब कंवर के बेटे लखन को गोद लिया था, जो रक्षाबंधन के दिन श्रावण मास की पूर्णिमा को कोलायत झील (बीकानेर) में डूब कर मर गया था। इसलिए कोलायत बीकानेर में कपिल मुनि के मेले में चारण समुदाय के लोग नहीं जाते हैं।
- करणी माता के इस मंदिर में सफेद चूहों के दर्शन करणी माता के दर्शन माने जाते हैं।
- करणी माता का मंदिर मठ कहलाता है।
- करणी माता की इष्ट देवी – तेमड़ा माता।
- करणी माता ने मेहरानगढ़ दुर्ग की नींव रखी थी। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- ऐसा माना जाता है कि करणी माता ने ही देशनोक कस्बा बसाया था।
- करणी माता के मंदिर में पुजारी चारण समुदाय के लोग होते हैं। राजस्थान की लोक देवियां
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लोक देवी जीण माता
- जीण माता के उपनाम – चौहानों की कुलदेवी, मधुमक्खियों की देवी, शेखावाटी क्षेत्र की लोक देवी आदि।
- जीण माता माता का जन्म धांधू गांव (सीकर) में हुआ था।
- जीण माता के पिता का नाम – धंधराय। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- जीण माता का प्रसिद्ध मंदिर हर्ष की पहाड़ी पर रेवासा (सीकर) में स्थित हैं, इनके इस मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के समय राजा हट्टड़ द्वारा करवाया गया।
- जीण माता को ढाई प्याले शराब चढ़ती है, जीण माता को पहले बकरे की बलि दी जाती है। वर्तमान में केवल बकरे के कान चढ़ाए जाते हैं।
- जीण माता के इस मंदिर में प्रति वर्ष चैत्र एवं आश्विन के नवरात्र में मेला लगता है।
- सभी देवी-देवताओं में जीण माता का लोकगीत सबसे लंबा है।
- जीण माता के इस मंदिर में जीण माता की अष्टभुजी प्रतिमा विराजमान है। राजस्थान की लोक देवियां
कैला देवी- राजस्थान की लोक देवियां
- कैला देवी को करौली के यदुवंशी राजवंश (यादवों) की कुलदेवी माना जाता है।
- कैला देवी का मंदिर त्रिकूट पर्वत की घाटी में करौली जिले में स्थित है।
- कैला देवी के इस मंदिर का निर्माण गोपाल सिंह द्वारा 19वीं शताब्दी में करवाया गया।
- कैला देवी को कभी मांस का भोग नहीं लगता है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- कैला देवी के इस मंदिर के सामने बोहरा भक्त की छतरी स्थित है।
- भक्त लोग कैला देवी की आराधना में प्रसिद्ध लांगुरिया गीत गाते हैं।
- कैला देवी के इस मंदिर में प्रति वर्ष नवरात्रों में (चैत्र शुक्ल अष्टमी को) इनका विशाल ‘लक्खी मेला’ भरता है।
- केला देवी का घुटकन नृत्य प्रसिद्ध है, जिसे गुर्जर एवं मीणा जाति के लोग करते हैं।
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शीतला माता
- चाकसू (जयपुर) में इनका मंदिर है।
- चेचक की देवी, बच्चों की पालनहार व सेढ़ल माता इनके उपनाम है।
- यह देवी खण्डित रूप में पूजी जाती है।
- मंदिर का निर्माण माधोसिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- इनका वाहन गधा हैं
- पुजारी-कुम्हार समाज के लोग होते है।
- बासडिया प्रसाद बनाया जाता हैं
- चैत्र कृष्ण अष्टमी (शीतला अष्टमी) के दिन मेला भरता है। राजस्थान की लोक देवियां
- इसी दिन मारवाड़ में घुडला पर्व मनाया जाता है।
शिला देवी
- शिला देवी आमेर के कछवाहा वंश की कुल देवी है।
- आमेर के महाराजा मानसिंह प्रथम द्वारा पूर्वी बंगाल के राजा केदार को पराजित कर ‘जस्सोर’ नामक स्थान से अष्टभुजी भगवती की मूर्ति 16वीं शताब्दी में आमेर लाए थे। आमेर लाकर उन्होंने आमेर दुर्ग में स्थित जलेब चौक के दक्षिणी-पश्चिमी कोने में मंदिर बनवाया था। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- इस मंदिर का पुनर्निर्माण (वर्तमान स्वरूप) मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया था।
- शिला देवी के इस मंदिर में सबसे पहले नरबलि तथा बाद में छागबलि दी जाती थी। जिसे वर्तमान समय में बंद कर दिया गया है।
- शिला देवी को ढाई प्याला शराब चढ़ती है, यहां पर भक्तों को शराब एवं जल का चरणामृत दिया जाता है।
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सती माता / दादी माता
- सती माता अग्रवालों की कुलदेवी है।
- सती माता का मूल नाम – नारायण बाई।
- सती माता के पति का नाम – तन-धन दास।
- विश्व का सबसे बड़ा सती माता का मंदिर झुंझुनू जिले में स्थित है। राजस्थान की लोक देवियां
- दूसरा सबसे बड़ा मंदिर खेमीसती का झुंझुनू में है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- सती माता के इस मंदिर में प्रतिवर्ष भाद्रपद अमावस्या को मेला लगता है।
- 1987 ईस्वी में दिवराला (सीकर) रूपकंवर सती महिला कांड के बाद रानी सती के इस मेले पर रोक लगा दी गई।
शाकंभरी माता
- शाकंभरी माता का प्रसिद्ध मंदिर सांभर (जयपुर) में स्थित है।
- शाकंभरी माता के इस मंदिर का निर्माण वासुदेव चौहान ने करवाया था।
- शाकंभरी माता को सांभर के चौहानों की कुलदेवी माना जाता है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- शाकंभरी माता का अन्य मंदिर – उदयपुरवाटी (झुंझुनू) एवं सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में स्थित है।
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जमुवाय माता
- जमुवाय माता को कछवाहा राजपूतों की कुलदेवी माना जाता है।
- जमवाय माता का प्रसिद्ध मंदिर जमवारामगढ़ (जयपुर) में स्थित है।
ज्वाला माता
- ज्वाला माता जोबनेर के खंगारोत राजवंश की कुलदेवी है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- ज्वाला माता का प्रसिद्ध मंदिर जोबनेर(जयपुर) में स्थित है।
चौथ माता
- चौथ माता कंजर जाति की आराध्य देवी है।
- चौथ माता का मंदिर चौथ का बरवाड़ा गांव (सवाई माधोपुर) में स्थित है। राजस्थान की लोक देवियां
- महिलाएं अपने पति की दीर्घायु मांगने के लिए कार्तिक कृष्ण चतुर्थी (करवा चौथ) को चौथ माता का व्रत रखती है।
आई माता
- आई माता के बचपन का नाम जीजाबाई था।
- आई माता का जन्म अंबापुर (गुजरात) में हुआ था।
- आई माता सीरवी जाति के क्षत्रियों की कुलदेवी है।
- आई माता का प्रसिद्ध मंदिर बिलाड़ा गांव (जोधपुर) में है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- आई माता के मंदिर को दरगाह कहा जाता है।
- आई माता के थान को बड़ेर कहा जाता है।
- आई माता के मंदिर में इनकी मूर्ति नहीं होती है।
- आई माता के मंदिर में जलने वाले दीपक की ज्योति से केसर टपकती है।
- आई माता के मंदिर में गुर्जर जाति का प्रवेश निषिद्ध है।
- आई पंथ के अनुयायियों को 11 नियमों का पालन करना अनिवार्य है, जिन्हें बैल के ग्यारह नियम कहते है।
नारायणी माता
- नारायणी माता नाइयों की कुलदेवी है।
- नारायणी माता के पुजारी मीणा जाति के लोग होते हैं।
- वर्तमान समय में नाइ एवं मीणा जाति के लोगों के बीच में चढ़ावा को लेकर विवाद चल रहा है। राजस्थान की लोक देवियां
- नारायणी माता का मंदिर राजगढ़ तहसील की बरवा की डूंगरी में प्रतिहार शैली से बना हुआ है।
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सचिया माता
- सचिया माता ओसवालो की कुलदेवी है।
- सचिया माता को सांप्रदायिक सद्भाव की देवी भी कहा जाता है।
- सचिया माता का प्रसिद्ध मंदिर ओसियां (जोधपुर) में स्थित हैं। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- सचिया माता के इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में प्रतिहार शैली में परमार राजकुमार उपलदेव ने करवाया था।
जिलाणी माता
- जिलाणी माता का मंदिर अलवर जिले के बहरोड़ कस्बे में स्थित है।
- जिलानी माता ने हिंदुओं को मुसलमान बनने से बचाया था।
नागणेची माता
- नागणेशी माता राठौड़ वंश की कुलदेवी है।
- 18 भुजाधारी देवी नागणेची माता का मंदिर मंडोर (जोधपुर) में है।Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
चामुंडा माता
- चामुंडा माता को मारवाड़ के राठौड़ों की ईष्ट देवी माना जाता है।
- चामुंडा माता का मंदिर मेहरानगढ़ (जोधपुर) में है।
- चामुंडा माता के इस मंदिर में वर्ष 2008 के आश्विन नवरात्र में भगदड़ मच जाने के कारण कई लोगों की मृत्यु हुई थी। इस भगदड़ की जांच के लिए जसराज चोपड़ा कमिटी गठित की गई।
- चामुंडा माता का एक अन्य मंदिर अजमेर में है, जो पृथ्वीराज चौहान तृतीय एवं चंदरबरदाई की ईष्ट देवी है। राजस्थान की लोक देवियां
दधिमती माता
- दधिमती माता का मंदिर नागौर जिले के जायल तहसील में गोट मांगलोद में स्थित है।
- दधिमती माता दाधीच ब्राह्मणों की कुलदेवी है।
- इस क्षेत्र को पुराणों में कुशाक्षेत्र कहा गया है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
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लटियाला माता/लुटियाला माता
- लटियाला माता कल्लों की कुलदेवी है।
- लटियाला माता का मंदिर फलोदी (जोधपुर) में है।
- लटियाला माता के मंदिर के आगे खेजड़ी का वृक्ष स्थित है, इसलिए इन्हें खेजड़ी बेरी राय भवानी भी कहते हैं।
ब्रह्माणी माता
- ब्रह्माणी माता कुम्हारों की कुलदेवी है।
- ब्रह्माणी माता का प्रसिद्ध मंदिर सोरसेन (बारां) में है।
- ब्रह्माणी माता का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें देवी की पीठ की पूजा की जाती हैं।
- यहां पर माघ शुक्ल सप्तमी को गधों का मेला लगता है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
कुशाल माता
- कुशाल माता का मंदिर बदनोर (भीलवाड़ा) में स्थित है।
- कुशाल माता के इस मंदिर का निर्माण महाराणा कुंभा ने 1490 ईस्वी में मालवा विजय के उपलक्ष में करवाया था।
- कुशाल माता चामुंडा देवी का अवतार है, इसी के पास बैराठ माता का मंदिर भी स्थित है।
त्रिपुरा सुंदरी
- त्रिपुरा सुंदरी को तुरतई माता भी कहा जाता है।
- इनका प्रसिद्ध मंदिर तलवाड़ा गांव (बांसवाड़ा) में है।
- त्रिपुरा सुंदरी पांचाल जाति की कुलदेवी है एवं यह राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की आराध्य देवी है।
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विरात्रा माता – Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- विरात्रा माता का मंदिर बाड़मेर के चौहटन क्षेत्र में है।
- विरात्रा माता भोपों की कुलदेवी है।
आशापुरा माता
- आशापुरा माता बिस्सी जाति की कुलदेवी है।
- आशापुरा माता का मंदिर पोकरण (जैसलमेर) में है।
- आशापुरा माता के इस मंदिर में भाद्रपद शुक्ल दशमी एवं माघ शुक्ल दशमी को मेले लगते हैं।
तनोट माता
- तनोट माता के उपनाम – रुमाल वाली देवी, सेना के जवानों की ईष्ट देवी, भाटी शासकों की ईस्ट देवी, थार की वैष्णो देवी आदि।
- तनोट माता के इस मंदिर में माता की पूजा बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के जवान करते हैं।
सुगाली माता
- सुगाली माता आऊवा (पाली) के ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत की ईष्ट देवी है।
- सुगाली माता को 1857 की क्रांति की देवी भी कहा जाता है।
- सुगाली माता की मूर्ति वर्तमान में पाली के बागड़ संग्रहालय में रखी गई है, इससे पहले यह अजमेर के राजपूताना म्यूजियम में थी।
आवरी माता/आसावरी माता
- आसावरी माता/आवरी माता का मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले के निकुंभ गांव में है।
- आवरी माता के मंदिर परिसर में स्थित दो तिबारियां में से बीमार बच्चे को निकाला जाता है।
- आवरी माता शारीरिक व्याधियों (लकवा) के निवारण हेतु प्रसिद्ध है।
आमजा माता- Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- आमजा माता का मंदिर रीछड़े गांव केलवाड़ा (उदयपुर) में है।
- आमजा माता भीलों की कुलदेवी है।
- आमजा माता की पूजा एक भील भोपा एवं एक ब्राह्मण पुजारी करता है।
बाण माता
- बाण माता का मंदिर कुंभलगढ़ किले के पास केलवाड़ा उदयपुर की गड्डी में स्थित है।
- बाण माता मेवाड़ के शासकों एवं सिसोदिया वंश की कुलदेवी है।
- बाणमाता को बरबड़ी माता भी कहते है।
राजस्थान की अन्य लोक देवियां
- अंबिका माता – अंबिका माता का प्रसिद्ध मंदिर जगत गांव (उदयपुर) में है, इसे मेवाड़ का खजुराहो भी कहा जाता है।
- भदाणा माता – भदाणा माता हाड़ा चौहानों की कुलदेवी है, यहां मूंठ की चपेट में आये लोगों का इलाज होता है।
- हिचकी माता – हिचकी माता का मंदिर सनवाड़ गाँव (सवाई माधोपुर) में स्थित है।
- जलदेवी – इनका मंदिर बावड़ी गांव (टोडारायसिंह तहसील, टोंक) में हुआ था।
- घेवर माता – इनका मदिर राजसमंद झील की पाल पर राजसमंद में है।
- क्षेमकरी माता – इनका मंदिर वंसतगढ़ (सिरोही) में है। इन्हें खीमेल माता कहते है।
- अर्बुदा देवी – इन्हें राजस्थान की वैष्णो देवी, देवी के अंधेरों की पूजा।
- बड़ली माता – इनका प्रसिद्ध मंदिर बेड़च नदी के किनारे आकोला (चित्तौड़गढ़) में है।
- स्वांगिया माता/सुग्गा माता – स्वांगिया माता आवड़ माता का ही एक स्वरूप है, स्वांगिया माता जैसलमेर के भाटी राजवंश की कुल देवी है।
- आवड़ माता/हिंगलाज माता/आवक माता – इनका मंदिर लोद्रवा जैसलमेर में है। लोकमानस में सुगनचिड़ी को आवड़ माता का रूप माना जाता है।
- आशापुरी माता/महोदरी माता – यह जालोर के सोनगरा चौहानो की कुलदेवी है, इनका मुख्य मंदिर मोदरा गांव (जालोर) में है। Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- अर्बुदा देवी – इनका मंदिर माउन्ट आबू (सिरोही) में है, इन्हें राजस्थान की वैष्णो देवी कहते है।
- राजेश्वरी माता – यह भरतपुर के जाट वंश की कुल देवी है।
- गंगामाता – इनका मंदिर भरतपुर में है, एक अन्य मंदिर झुंझुनू में है।
- चारभुजा देवी – इनका मंदिर खमनौर (राजसमंद) में है।
- तुलजा भवानी – तुलजा भवानी छत्रपति शिवजी की आराध्य देवी थी, इनका मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में है।
- कालिका माता – कालिका माता गुहिल वंश की इष्ट देवी है, इनका मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में प्रतिहार कालीन शैली में बना हुआ है।
- कालका माता – कालका माता सुनारों की कुल देवी है, इनका मंदिर पल्लू गांव (हनुमानगढ़) में है।
- शारदा देवी – इनका मंदिर पिलानी (झुंझुनू) में है।
विभिन्न रियासतों की कुलदेवी
- जोधपुर – नागणेची माता
- जैसलमेर – स्वांगिया माता
- बीकानेर – करणीमाता
- उदयपुर – बाणमाता
- सीकर – जीणमाता
- सांभर – शाकम्भरी माता
- आमेर – जमवाय माता
- जालोर – आशापुरी माता
- जयपुर – जमवाय माता
- जोबनेर – ज्वाला माता
- करौली – कैला देवी
- कोटा – भद्राणा माता
- भरतपुर – राजेश्वरी माता
- आऊवा – सुगाली माता
विभिन्न जातियों की कुल देवी- Rajasthan ki Lok Deviya PDF Notes
- सीरवी जाति – आईमाता
- कल्ला जाति – लुटियाला माता
- बिस्सा जाति – आशापुरा माता
- ओसवाल जाति – सचियाँ माता
- खंडेलवाल जाति – सकराय माता
- नाइ जाति – नारायणी माता
- पांचाल जाति – त्रिपुरा सुंदरी
- भील जाति – आमजा माता
- भोपा जाति – विरात्रा माता
- मीणा जाति – कैला देवी
- गुर्जर जाति – कैला देवी
- यादव जाति – कैला देवी
- कंजर जाति – चौथ माता