राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण्य Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye, Wildlife Sanctuary of Rajasthan PDF Notes Rajasthan GK for All Competitive Exams In Rajasthan. Latest Update Current Affairs about Rajasthan ke Vanye Jeev Abhyaranye.
Wildlife Sanctuary of Rajasthan राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण्य
- 23 अप्रैल 1951 को राजस्थान वन्य-पक्षी संरक्षण अधिनियम 1951 लागु किया गया।
- भारत सरकार द्वारा 9 सितम्बर 1972 को वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 लागु किया गया। इसे राजस्थान में 1 सितम्बर, 1973 को लागु किया गया। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
- रेड डाटा बुक में संकटग्रत व विलुप्त जन्तुओं व वनस्पतियों के नाम प्रविष्ट किये जाते हैं।
- भारत में बाघ संरक्षण योजना के निर्माता कैलाश सांखला थे। अन्हें Tiger man of india भी कहते हैं। इन्होंने Tiger and return of tiger पुस्तकें भी लिखी।
राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान National Park In Rajasthan
Rajasthan में निम्नलिखित वर्तमान में कुल 3 राष्ट्रीय उद्यान है-
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1. रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान (Ranthambhor National Park)
यह सवाईमाधोपुर जिले में स्थित है और लगभग 392 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका पुराना नाम रण स्तम्भपुर हैं। ये सवांईमाधोपुर के शासकों का आखेट क्षेत्र था। जिसे सन् 1955 में अभयारण्य घोषित कर दिया गया। वन्य जीव सरंक्षण अधिनियम, 1972 के अन्तर्गत सन् 1973 में इसे टाईगर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया हैं। राजस्थान का पहला टाईगर प्रोजेक्ट था। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
1 नवम्बर 1980 को इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। यह भारत का सबसे छोटा टाइगर जिरर्व प्रोजक्ट है। इसे Land of tiger भी कहते हैं। बाद्यों के अलावा घड़ीयाल, चीतल, नीलगाय, सांभर, रीछ, जरख अन्य जीव इसमें मिलते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान अरावली और विन्ध्याचल पर्वत मालाओं के बीच में स्थित है।
इस राष्ट्रीय उद्यान में रणथम्भौर दुर्ग, जोगीमहल, गिलाई सागर, त्रिनेत्र गणेश, बकौला, राज बाग खंडहर, पदम तलाओ/तालाब, लकरदा और अनंतपुर, काचिदा घाटी मन्दिर दर्शनिय स्थल हैं ।
इस राष्ट्रीय उद्यान में विश्व बैंक के सहयोग से वन्य जीवों के संरक्षण हेतु 1998 से 2004 तक 6 वर्ष के लिए india eco. development project चलाया गया था।
2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park)
यह भरतपुर में है। इसे घाना पक्षी बिहार भी कहते हैं इसे पक्षियों का स्वर्ग कहते हैं। यह एशिया की सबसे बड़ी पक्षी प्रजनन स्थली है।इसे सन् 1956 में अभयारण्य घोषित किया गया था। 1981 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया 1985 में इसे युनेस्को ने विश्व प्राकृतिक धरोहर सूची में डाला। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
साथ ही इसे रामसर कन्वेशन के तहत रामसर कन्वेशन वैट लैण्ट में भी शामिल किया जा चुका है। पानी अजान बांध से प्राप्त होता है। यहां पक्षियों की अनेक प्रजातियां मिलती है। जिसमें से कुछ प्रवासी भी है। प्रवासियों पक्षियों में सबसे प्रमुख साइबेरियन क्रेन(सारस) है। जो यूरोप के साइबेरिया प्रान्त से शीतकाल में यहां आता है। और गीष्म काल में प्रजनन के बाद लौट जाता है। यहां सुर्खाव, अजगर, लाल गरदन वाले तोते आदि मिलते हैं। यहां के पाईथन प्वांइट पर अजगर देखे जा सकते है। झील में जलमानुष (उदबिलाव) भी निवास करते हैं।
यह National Park प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली की कर्मस्थली रहा है। यह राष्ट्रीय उद्यान गंभीरी और बाणगंगा के संगम पर है। साथ ही यह भारत के प्रमुख पर्यटक परिपथ सुनहरा त्रिकोण (दिल्ली-आगरा-जयपुर) पर अवस्थित है।
3. मुकुन्दरा हिल्स अभ्यारण्य (Mukundara Hills National Park, Rajasthan)
यह अभयारण्य कोटा, चितौड़गढ़ ,बूंदी व झालावाड़ में है। पहले इसका नाम दर्रा उद्यान था। बाद में 2003 में दर्रा एवं चम्बल घड़ियाल (जवाहर सागर) अभयारण्य को मिलाकर राजीव गांधी नेशलन पार्क बनाने की घोषण की गई। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
2006 में इसका नाम बदलकर दर्रा राष्ट्रीय अभयारण्य रखा गया, जिसे हाड़ौती के प्रकृति प्रेमी शासक मुकंदसिंह के नाम पर मुकंदरा हिल्स राष्ट्री य उद्यान रखने का निर्णय लिया गया। इसी अभ्यारण्य में मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ीया स्थित है। मुकुंदरा हिल्स में आदिमानव के शैलाश्रय एवं उनके द्वारा चित्रांकित शैल चित्र मिलते हैं। 1955 में इसकी स्थापना हुई।
9 जनवरी 2012 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। मुकुन्दरा हिल्स को 9 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यह अभयारण्य घडीयाल,सारस, गागरोनी(हीरामन) तोते के लिए प्रसिद्ध है। यहां जीव जन्तुओं को देखने के लिए अवलोकन स्तम्भ बने हुए हैं। जिसे औदिया कहते है। राज्या में सर्वाधिक जीव इसी अभ्यारण्य में है | Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
नोट – गागरोन दुर्ग, अबली मीणी महल, रावठा महल, गुप्त कालीन मंदिर(भीम चौरी) के खण्डर इसी अभयारण्य में है।
नोट – डा. हरि मोहन सक्सेना की राजस्थान का भूगोल (राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी) के अनुसार राजस्थान में पांच राष्ट्रीय उद्यान – रणथम्भौर, केवलादेव, सरिस्का, राष्ट्रीय मरू उद्यान एवं मुकन्दरा हैं।
राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण्य -Wildlife Sanctuary of Rajasthan
वर्तमान में राजस्थान में कुल 26 वन्य जीव अभ्यारण्य है, इनकी विशेषताएं निम्न प्रकार है-
1. सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण्य- अलवर
यह अभयारण्य अलवर जिले में स्थित है। 1900 में इसकी स्थापना की गई। 1955 में इसे वन्य जीव अभ्यारण्य का दर्जा दिया गया। 1978-79 में यहां टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट शुरू किया गया। यह राजस्थान का दुसरा टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट है। यह अभयारण्य हरे कबूतरों के लिए प्रसिद्ध है। इस अभ्यारण्य में क्रासका व कांकनबाड़ी पठार, भृतहरि, नीलकठ महादेव मन्दिर, पाण्डुपोल, तालवृक्ष, नेडा की छतरियां, नारायणी माता मन्दिर सरिस्का पैलेस होटल, RTDC का टाइगर डेन होटल स्थित है। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
2. सरिस्का-अ, अलवर
यह राजस्थान का सबसे छोटा अभयारण्य है.
3. राष्ट्रीय मरू उद्यान (National Dessert Park- Jaisalmer)
यह जैसलमेर और बाड़मेर में स्थित है। यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा अभ्यारण्य है। इसकी स्थापना वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अर्न्तगत सन् 1980-81 में की गई। इस अभयारण्य में करोड़ों वर्ष पुराने काष्ठ काष्ठावशेष, डायनोसोर के अण्डे के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इन अवशेष को सुरक्षित रखने के लिए अभयारण्य के भीतर अकाल गांव में ‘फॉसिल्स पार्क’ स्थापित किया गया हैं । Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye यह अभयारण्य आकल वुड फॉसिल्स पार्क के कारण प्रसिद्ध हैं। गोडावन, चिंगारा, काले हिरण, लोमड़ी, एण्डरसन्स टाॅड, गोह, मरू
बिल्ली पीवणा, कोबरा, रसलवाईपर आदि इसमें मिलते हैं।
4.सीतामाता अभ्यारण्य (Sitamata Wildlife)
यह चितौड़गढ़, प्रतापगढ़ और उदयपुर में स्थित है। 1971 में इसकी स्थापना हुई। यह अभयारण्य उड़न गिलहरी लिए प्रसिद्ध है। इस अभयारण्य में स्थित लव-कुश जलस्त्रोंतों स्त्रों तोंसे अनंत काल से ठण्डी व गर्म जल धाराएं प्रवाहीत हो रही हैं। जाखम बांध इसी अभ्यारण्य में स्थित है।
5. कुम्भलगढ़- अभयारण्य
यह उदयपुर, पाली, राजसमंद जिले में है। 1971 में इसकी स्थापना की गई। यह अभयारण्य भेडीये के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। यहां भेडि़या, रीछ, मुर्गे, चैसिंगा(घटेल) मिलते हैं। इस अभ्यारण्य में चंदन के वृक्ष भी मिलते हैं। रणकपुर के जैन मन्दिर इसी अभयारण्य है। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
6. चंबल घड़ीयाल-अभयारण्य
यह अभयारण्य चंबल नदी में बनाया गया है जो राणाप्रताप सागर से यमुना नदी तक विस्तृत(कोटा, बूंदी, स. माधोपुर, धौलपुर, करौली) है। यह एकमात्र Interstate (राजस्थान , म. प्रदेश, उ. प्रदेश) अभयारण्य है। चंबल देश की एकमात्र नदी सेन्चुरी है। इसे घड़ीयालों का संसार भी कहते हैं ।
चम्बल नदी में डाल्फिन मछली भी पाई जाती हैं। जिसे ‘गांगेय सूस’ कहते हें। भारत में मगरमच्छों की तीन प्रजातियाँ हैं अर्थात्: घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस): IUCN रेड लिस्ट- गंभीर रूप से संकटग्रस्त मगर (Crocodylus Palustris): IUCN- सुभेद्य। खारे पानी का मगरमच्छ (Crocodylus Porosus): IUCN- कम चिंतनीय। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
7. तालछापर अभ्यारण्य – चुरू
इस अभ्यारण्य में काले हिरणों को संरक्षण दिया है। तालछापर अभ्यारण्य को प्रवासी पक्षी “कुंरजा” की शरण स्थली कहा जाता है।
8. भैंसरोडगढ़, चितौडगढ
यह अभ्यारण्य घड़ीयालों के लिए प्रसिद्ध है. Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
9. माऊण्ट आबू अभयारण्य – सिरोही
जंगली मुर्गे के लिए प्रसिद्ध, तथा गुरू शिखर इसी अभयारण्य में है।
10. बस्सी- अभ्यारण्य – चितौड़गढ़
11. टाडगगढ़ रावली
यह अजमेर,पाली व राजसमन्द में फैला हुआ हैं। यहां एक किला भी हैं, जिसे टाड़गढ़ का किला कहते हैं, जो अजमेर में हैं। इस किले का निर्माण कर्नल जेम्स टॉड ने करवाया था। यहां स्वंतत्रता आंदोलन के समय राजनैतिक कैदियों को कैद रखा जाता था। विजयसिंह पथिक उर्फ भूपसिंह को इसमें कैद रखा गया था।
12. रामगढ़ विषधारी, बूंदी
रामगढ़ विषधारी अभयारण्य को भारत के 52वें बाघ अभयारण्य व राजस्थान के 4th अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया। रणथम्भौर, सरिस्का और मुकुंदरा के बाद राजस्थान में यह चौथा बाघ अभयारण्य है। रामगढ़ विषधारी बाघ अभयारण्य में भारतीय भेड़िया, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, भालू, सुनहरा सियार, चिंकारा, नीलगाय और लोमड़ी जैसे जंगली जानवर देखे जा सकते हैं। मेज नदी निकलती है,यह बूंदी के शासकों का आखेट क्षेत्र था। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
13. बंधबरैठा अभयारण्य
यह भरतपुर में स्थित हैं। यह केवलादेव अभयारण्य का हिस्सा हैं। इसमें बया पक्षी सर्वांधिक पाया जाता हैं। बारैठा झील, परिन्दों का घर
14. जवाहर सागर
यह अभयारण्य कोटा,चितौड़गढ़,बूंदी में है। घड़ीयालों का प्रजनन केन्द्र, मगरमच्छ, गैपरनाथ मन्दिर, गडरिया महादेव, कोटा बांध इसी में है।
15. शेरगढ़ अभयारण्य
यह बांरा में स्थित हैं। परवन नदी गजरती है, शेरगढ़ दुर्ग, सांपों की संरक्षण स्थली, चिरौजी के वृक्ष मिलते है। यहां पर सर्प उद्यान भी हैं।
16. जयसमंद, उदयपुर
बघेरों के लिए प्रसिद्ध, इसे जलचरों की बस्ती कहते हैं। रूठी रानी का महल इसी में है।
17. नाहरगढ़, जयपुर -Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
चिकारा के लिए प्रसिद्ध, राज्य का प्रथम देश का दुसरा जैविक उद्यान, राज्य का पहला देश का तिसरा बियर रेस्क्यू सेंटर बनाया गया है।
18. सवाई मानसिंह, सवाई माधोपुर
19. कैला देवी वन्य जीव अभ्यारण्य – करौली
20. फुलवारी की नाल, उदयपुर
सोम का उद्गम, टीक के वृक्ष का प्रथम Human Anatomy park.
21. जमवा रामगढ़, जयपुर
22. रामसागर, धौलपुर
23. केसरबाग, धौलपुर
24. वनविहार, धौलपुर – सांभर, सारस
25. दर्रा वन्य जीव अभ्यारण्य -कोटा, झालावाड़
26. सज्जनगढ़ अभ्यारण्य, उदयपुर
राजस्थान के मृगवन Mrigavan of Rajasthan
Rajasthan में कुल 7 मृगवन स्थित है –
- अशोक विहार, जयपुर
- चितौड़गढ़ मृगवन
- पुष्कर मृगवन, पुष्कर
- संजय उद्यान – शाहपुरा (जयपुर)
- सज्जनगढ़, उदयपुर – राज्य का दुसरा जैविक उद्यान
- अमृता देवी, खेजड़ली – भाद्रपद शुक्ल दशमी को मेला
- माचिया सफारी पार्क, जोधपुर – यहां देश का पहला मरू वानस्पतिक उद्यान किया जा रहा है। Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
आखेट निषेध क्षेत्र Hunting Prohibition Zone, Rajasthan
वे क्षेत्र जहाँ पर शिकार करना कानूनन अपराध है, आखेट निषिद्ध क्षेत्र कहलाते है, राजस्थान में कुल 33 आखेट निषेध क्षेत्र है-
Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
- बागदड़ा – उदयपुर
- बज्जु – बीकानेर
- रानीपुरा -टोंकटों
- देशनोक – बीकानेर
- दीयात्रा – बीकानेर
- जोड़ावीर – बीकानेर
- मुकाम – बीकानेर
- डेचुं – जोधपुर
- डोली – जोधपुर -काले हिरण के लिए
- गुढ़ा – बिश्नोई – जोधपुर
- जम्भेश्वर – जोधपुर
- लोहावट – जोधपुर
- साथीन – जोधपुर
- फिटकाशनी – जोधपुर
- बरदोद – अलवर
- जौड़ीया – अलवर
- धोरीमन्ना – बाड़मेर
- जरोंदा रों – नागौर
- रोतू – नागौर
- गंगवाना – अजमेर
- सौंखसौं लिया- अजमेर – गोडावण
- तिलोरा – अजमेर
- सोरसन – बारां – गोडावण
- संवत्सर-कोटसर- चुरू
- सांचैर – जालौर
- रामदेवरा – जैसलमेर
- कंवाल जी – सा. माधोपुर
- मेनाल – चितौड़गढ़
- महलां – जयपुर
- कनक सागर – बूंदी – जलमुर्गो
- जवाई बांध – पाली
- संथाल सागर – जयपुर
- उज्जला – जैसलमेर
जैविक उद्यान Biological Park In Rajasthan
- नाहरगढ़, जयपुर- प्रथम
- सज्जनगढ़, उदयपुर
जन्तुआलय animal house
राजस्थान में कुल 5 जन्तुआलय स्थित है –
- जयपुर(1876) – सबसे पुराना, रामनिवास बाग में स्थित रामसिंह द्वारा स्थापित, मगरमच्छ और बाघ प्रजनन केन्द्र
- उदयपुर(1878) – गुलाब बाग, बाघ, बघेरा, भालु
- बीकानेर(1922) – सार्वजनिक उद्यान, वर्तमान में बंद
- जोधपुर(1936) – उम्मेद बाग, पक्षियों के लिए प्रसिद्ध गोडावन का कृत्रिम प्रजनन केन्द्र – कोटा(1954)
- कोटा – 1954 में स्थापित, Rajasthan ke vanye jeev Abhyaranye
कन्जर्वेशन रिजर्व Conservation Reserve
Rajasthan में कुल 16 कन्जर्वेशन रिजर्व स्थित है.
राजस्थान में बाघ परियोजनाएं Tiger Reserve In Rajasthan
वर्तमान में राजस्थान में कुल 4 बाघ परियोजनाएं है-
- रणथम्भोर बाघ परियोजना – सवाई माधोपुर
- सरिस्का बाघ परियोजना – अलवर
- मुकुंदरा हिल्स बाघ परियोजना – कोटा
- रामगढ विषधारी बाघ परियोजना – बूंदी (नवीनतम )
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रामगढ विषधारी, बूंदी
हेमाराम चौधरी
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