राजस्थान के दुर्ग/किले, Forts of Rajasthan Notes PDF

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राजस्थान राज्य भारतीय इतिहास और संस्कृति का गर्वग्राही है। इस अद्वितीय प्रदेश में, जो राजपूतों की विरासत का आधार बना है, कई ऐतिहासिक दुर्ग अपनी महत्त्वपूर्णता और बेजोड़ विरासत के लिए प्रसिद्ध हैं। इन दुर्गों की महानता, वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण, वे पर्यटन स्थल के रूप में लोगों को आकर्षित करते हैं। इस लेख में हम राजस्थान के कुछ प्रमुख ऐतिहासिक दुर्गों के बारे में चर्चा करेंगे और उनके महत्त्वपूर्ण पहलुओं को जानेंगे।

राजस्थान के दुर्ग/किले
forts of Rajasthan

Table of Contents

दुर्गों की श्रेणी (Durgo ki Shreni)

शुक्र नीति में दुर्गो की 9 श्रेणियों का वर्णन किया गया वे निम्न प्रकार है-

1. एरण दुर्ग :- खाई, कांटों तथा कठौर पत्थरों से दुर्गम मार्ग युक्त जहां पहुंचना कठिन हो जैसे – रणथम्भौर दुर्ग।
2. पारिख दूर्ग :- जिसके चारों ओर खाई हो जैसे – लोहगढ़/भरतपुर दुर्ग।
3. पारिध दूर्ग :- ईट, पत्थरों से निर्मित मजबूत परकोटा युक्त जैसे – चित्तौड़गढ दुर्ग
4. वन/ओरण दूर्ग :- चारों ओर सघन वन से ढ़का हुआ जैसे- सिवाणा दुर्ग।
5. धान्व दूर्ग :- जो चारों ओर रेत के ऊंचे टीलों से घिरा हो जैसे – जैसलमेर ।
6. जल दुर्ग :- चारों तरफ पानी से घिरा हुआ जैसे – गागरोन दुर्ग
7. गिरी दूर्ग :- एकांत में पहाड़ी पर हो तथा जल संचय प्रबंध हो जैसे – कुम्भलगढ़
8. सैन्य दूर्ग :- जिसकी व्यूह रचना चतूर वीरों के होने से अभेद्य हो यह दुर्ग माना जाता हैं
9. सहाय दूर्ग :- सदा साथ देने वाले बंधुजन जिसमें हो।

राजस्थान के दुर्ग (Forts of Rajasthan)– Notes PDF

दोस्तों अब हम राजस्थान के सभी प्रमुख दुर्गों के बारे एक एक करके पढ़ेंगे और ये प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण होंगे –

1. चित्तौड़गढ़ दुर्ग

  • स्थान – चितौड़गढ़
  • निर्माता – चित्रांगद मौर्य (सिसोदिया वंश), निर्माण – सातवीं शताब्दी
  • श्रेणी – गिरी दुर्ग
  • अन्य नाम – चित्रकूट, राजस्थान का गौरव, राजस्थान का दक्षिणी प्रवेश द्वार, राजस्थान के दुर्गों का सिरमौर
  • प्रचलित कहावत – “गढ़ तो चितौड़गढ़, बाकी सब गढ़ैया”
  • यह दुर्ग क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा दुर्ग है।
  • राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes

साके :- इस दुर्ग में तीन साके हुए –
1. प्रथम साका :- सन् 1303 ई. में मेवाड़ के महाराणा रावल रतनसिंह के समय चित्तौड़ का प्रथम साका हुआ। रानी पद्मिनी द्वारा जौहर किया गया।
आक्रमणकारी – अल्लाउद्दीन खिलजी था। उसने दुर्ग का नाम बदलकर खिजाबाद
2. द्वितीय साका :- 1534-35 ई. में मेवाड़ के शासक विक्रमादित्य के समय शासक बहादुर शाह ने आक्रमण किया। युद्ध के उपरान्त महाराणी कर्मावती ने जौहर किया। राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
3. तृतीय साका :-
सन् 1567-68 ई. में महाराणा उदयसिंह के समय मुगल सम्राट अकबर ने आक्रमण किया था।

दर्शनीय स्थल :-


1. विजय स्तम्भ :-
मेवाड के महाराणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर अपनी विजय के उपलक्ष्य में 1439-40 में भगवान विष्णु के निमित विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया। इसे विष्णु स्तम्भ भी कहा जाता है। यह स्तम्भ 9 मंजिला तथा 120 फीट ऊंचा है।
प्रमुख युद्ध

  • सांरगपुर का युद्ध (1437 ई.)
  • इसे भारतीय इतिहास में मूर्तिकला का विश्वकोष अथवा अजायबघर भी कहते हैं
  • विजय स्तम्भ का शिल्पकार जैता, नापा, पौमा और पूंजा को माना जाता है।


2. जैन कीर्ति स्तम्भ :-

  • चित्तौडगढ़ दुर्ग में स्थित जैन कीर्ति स्तम्भ का निर्माण अनुमानतः बघेरवाल जैन जीजा द्वारा 11 वीं या 12 वी. शताब्दी में करवाया गया। यह 75 फुट ऊंचा और 7 मंजिला है।
  • अन्य दर्शनीय स्थल :- कुम्भ श्याम मंदिर, मीरा मंदिर, पदमनी महल, फतेह प्रकाश संग्रहालय तथा कुम्भा के महल आदि प्रमुख दर्शनिय स्थल है। राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  • इस दुर्ग में पांडव पोल, भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, लक्ष्मण पोल, जोड़ला पोल, रामपोल नामक सात दरवाजे है।
  • गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चितोड़ पर दो बार आक्रमण किया। (1533, 1535)
  • चित्तौड़गढ के प्रथम साके में रतन सिंह के साथ सेनानायक गोरा व बादल (रिश्ते मे पदमिनी के थे) शहीद हुए।
  • चित्तौडगढ़ का तृतीय साका जयमल राठौड़ और पता सिसोदिया के पराक्रम और बलिदान के लिए प्रसिद्ध है।

2. रणथम्भौर दुर्ग (सवाई माधोपुर)

  •  निर्माता – अजमेर के चौहान, श्रेणी – एरण, गिरी, वन दुर्ग
  • यह दुर्ग अंडाकार आकृति की पहाड़ी पर बना हुआ है इसलिए दूर से देखने पर दिखाई नही देता है।
  • यह दुर्ग विषम आकार की सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
  • अबुल फजल के अनुसार – “अन्य सब दुर्ग नँगे है, जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है” राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes .
  • इस दुर्ग में इमारतें – हम्मीर महल, रानी महल, सुपारी महल, हम्मीर की कचहरी, बादल महल, जोरा-भोरां, 32 खम्भो की छतरी, जोगी महल, पीर सदरुद्दीन की दरगाह, त्रिनेत्र गणेश मंदिर आदि।

3. अजयमेरू दुर्ग (तारागढ़)- अजमेर

  • स्थान -अजमेर
  • निर्माता – अजयराज चौहान
  • श्रेणी – गिरी दुर्ग, निर्माण – 1113 ई.
  • अन्य नाम – गढ़ बिठली, तारागढ़ दुर्ग, राजस्थान का जिब्राल्टर
  • तारागढ़ दुर्ग की अभेद्यता के कारण विशप हैबर ने इसे “राजस्थान का जिब्राल्टर ” अथवा “पूर्व का दूसरा जिब्राल्टर” कहा है।
  • तारागढ़ के भीतर प्रसिद्ध मुस्लिम संत मीरान साहेंब (मीर सैयद हुसैन) की दरगाह स्थित है।
  • इस दुर्ग में नाना साहब का झालरा, गोल झालरा, इब्राहिम शरीफ क् झालरा आदि जल संरक्षण के लिए कुण्ड बने हुए है।

4. तारागढ दुर्ग (बूंदी)

  • निर्माता – राव बरसिंह हाड़ा, स्थान – बून्दी
  • श्रेणी – गिरी दुर्ग, निर्माण – 1354 ई.
  • कर्नल टॉड ने बून्दी के महलों को राजपूताने के श्रेष्ठ महलों में माना है।
  • इसे राजस्थान का तिलस्मी किला कहते है। (गुप्त सुरंगों के कारण) राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  • इस दुर्ग में गर्भ गुंजन व महाबला तोप स्थित है।
  • यहाँ फूल महल, दुधा महल, रानीजी की बावड़ी, 84 खम्बो की छतरी स्थित है।

5. मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर)

स्थान – जोधपुर, निर्माता – राव जोधा

  • निर्माण – 1459 ई. , श्रेणी – गिरी दुर्ग
  • अन्य नाम – मयूरध्वजगढ़, गढ़ चिन्तामणी
  • यह दुर्ग चिड़िया टूक पहाड़ी पर बना है।
  • इस दुर्ग की नींव में राजाराम(राजिया माँबी) की जिंदा दफनाया गया था।
  • जेकेलिन कनेडी ने इसे विश्व का आठवां आश्चर्य कहा था। राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  • इस दुर्ग में महाराजा सूरसिंह ने मोती महल, अजीत सिंह ने फतह महल, अभय सिंह ने फूल महल, बख्त सिंह ने श्रंगार महलों का निर्माण करवाया।
  • इस दुर्ग में महाराजा मानसिंह ने “पुस्तक प्रकाश” पुस्तकालय की स्थापना की थी।
  • लार्ड किपलिंग ने इस दुर्ग के निर्माण के लिए कहा था – “यह दुर्ग परियों एवं देवताओं द्वारा निर्मित है।“
  • दुर्ग में स्थित तोपें – किलकिला, शम्भू बाण, गजनी खां, चामुण्डा, भवानी
  • चामुण्डा माता मंदिर – यह मंदिर राव जोधा ने बनवाया। 1857 की क्रांति के समय इस मंदिर के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण इसका पुनर्निर्माण महाराजा तखतसिंह न करवाया।

6. सोनारगढ़ दुर्ग (जैसलमेर)

 स्थान – जैसलमेर, निर्माता – महारावल जैसल भाटी

  • निर्माण – 1156 ई., श्रेणी – धान्वन दुर्ग
  • अन्य नाम – उत्तरभड़ किवाड़, सोनगढ़, स्वर्णगिरि
  • यह दुर्ग त्रिकुट पहाड़ी पर बना है।
  • यह दुर्ग राजस्थान में चित्तौड़गढ के पश्चात् सबसे बडा फोर्ट है। राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  • जैसलमेर दुर्ग की सबसे प्रमुख विशेषता इसमें ग्रन्थों का एक दुर्लभ भण्डार है जो जिनभद्र कहलाता है। सन् 2005 में इस दुर्ग को वल्र्ड हैरिटेज सूची में शामिल किया गया।

जैसलमेर में ढाई साके –
1. पहला साका – दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलज्जी व भाटी शासक मूलराज के मध्य युद्ध हुआ।
2. द्वितीय साका – फिरोज शाह तुगलक के आक्रमण रावल दूदा व त्रिलोक सिंह के नेतृत्व मे वीरगति प्राप्त की।
3. तीसरा साका – जैसलमेर का अर्द्ध साका राव लूणकरण के समय केसरिया हुआ पर जौहर नही हो सका।

8. आमेर दुर्ग – आमेर (जयपुर)- Fort of Rajasthan

स्थान – जयपुर, श्रेणी – गिरी दुर्ग

  • इस दुर्ग में हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य शैली का मिश्रण है।
  • मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा निर्मित दीवान-ए-आम में राजा का दरबार होता था।
  • दीवान-ए-खास का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया जिसमे राजा अपने विशिष्ट सामन्तो व प्रमुख लोगों से मिलता था। (Forts of Rajasthan)
  • बिशप हेबर ने आमेर के महलों की सुंदरता की तुलना “क्रेमलिन तथा अलब्रह्म” के महलों से की है।
  • इस दुर्ग में जलेब चौक, सिंह पोल, गणेश पोल, दिलसुख महल, मावठा तालाब, सुहाग मन्दिर, शिलामाता मन्दिर, जनानी ड्योढ़ी, कदमी महल आदि स्थित है।

9. जयगढ दुर्ग (जयपुर)

स्थान – जयपुर, निर्माता – सवाई जयसिंह द्वितीय

  • निर्माण – 1726 ई., श्रेणी – गिरी दुर्ग
  • अन्य नाम – चिल्ह का टिला, खजाने का किला, रहस्यमयी दुर्ग
  • इस दुर्ग में विजयगढ़ी महल है जिसे लघु दुर्ग कहते है।
  • इस दुर्ग में एशिया का एकमात्र तोपखाना था।
  • आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इन्द्रागांधी राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notesने खजाने की प्राप्ति के लिए किले की खुदाई करवाई गई।
  • जयबाण तोप – एशिया की सबसे बड़ी तोप, इसकी मारक क्षमता – 35KM
  • इस दुर्ग में दीवाने आम, दीवाने खास, लक्ष्मी निवास, ललित मन्दिर, सूर्य मंदिर, राणावतजी का चौक स्थित है।
  • इस दुर्ग में काल भैरव का प्रसिद्ध मंदिर है।

10. नाहरगढ़ दुर्ग (जयपुर)

स्थान – जयपुर, निर्माता – सवाई जयसिंह द्वितीय

  • निर्माण – 1734 ई., श्रेणी – गिरी दुर्ग
  • अन्य नाम – सुरदर्शनगढ़, महलों का दुर्ग, मिठड़ी का दुर्ग
  • इस दुर्ग में माधोसिंह प्रथम ने अपनी पासवान रानियों के लिए एक जैसे नौ महल बनवाये – सूरज प्रकाश, खुशहाल प्रकाश, बसन्त प्रकाश, फूल प्रकाश, जवाहर प्रकाश, ललित प्रकाश, आनन्द प्रकाश, लक्ष्मी प्रकाश, चांद प्रकाश।
  • इस दुर्ग को जयपुर का मुकुट कहा जाता है।
  • इस दुर्ग के पास जैविक उद्यान स्थित है।

11. गागरोण दुर्ग (झालावाड़)

स्थान – झालावाड़, निर्माता – परमार राजपूत

  • श्रेणी – जल दुर्ग
  • अन्य नाम – धुलरगढ़, डोडगढ़
  • काली सिंध व आहु नदियों के संगम पर स्थित।
  • राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  • इस दुर्ग में शत्रुओं पर पत्थरों से वर्षा करने वाला विशाल यंत्र स्थित है।
  • इस दुर्ग में पीपाजी की छतरी स्थित है जहाँ प्रतिवर्ष उनकी पुण्यतिथि पर मेला भरता है।
  • सूफी संत हमीदुद्दीन चिश्ती की समाधि जो मिठेशाह की दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है इस दुर्ग में स्थित है।


दुर्ग में साके –
1. पहला साका – सन् 1423 ई. में अचलदास खींची (भोज का पुत्र) तथा मांडू के सुलतान अलपंखा गौरी (होंशगशाह) के मध्य भीष्ण युद्ध हुआ। जीत के बाद दुर्ग का भार शहजाते जगनी खां को सौपा गया।
गागरोज के प्रथम साके का विवरण शिवदास गाढण द्वारा लिखित पुस्तक ‘ अचलदास खींची री वचनिका’ में मिलता है।
2. दूसरा साका – सन् 1444 ई. में
महमूद खिलजी ने विजय के उपरांत दुर्ग का नाम बदल कर मुस्तफाबाद रखा।
● विद्वानों के अनुसार इस पृथ्वीराज ने अपना प्रसिद्व ग्रन्थ “वेलिक्रिसन रूकमणीरी” गागरोण में रहकर लिखा।

12. कुम्भलगढ़ दुर्ग (राजसमंद)

 स्थान – राजसमन्द, निर्माता – महाराणा कुम्भा

  • निर्माण – 1458 ई., श्रेणी – गिरी दुर्ग
  • शिल्पी – मंडन
  • अन्य नाम – कुम्भलमेर दुर्ग, केवल एक बार जीता गया दुर्ग, कटार गढ़, मेवाड़ का मेरुदंड, मारवाड़ सीमा का प्रहरी, मेवाड़ की संकटकालीन आश्रय स्थली
  • इस दुर्ग के चारों ओर 36km लम्बा व 7 मीटर चौड़ा परकोटा है जिसे भारत की महान दीवार कहते है।
  • राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  • अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में लिखा है – “यह दुर्ग इतनी बुलंदी पर बना है कि नीचे से ऊपर तक देखने पर सिर की पगड़ी गिर जाती है।“
  • कर्नल टॉड ने कुम्भलगढ़ की तुलना “एस्ट्रुकन” से की है।
  • किले में सबसे ऊपरी स्थान कटारगढ़ है जो कुम्भा का निजी आवास था। इसे मेवाड़ की आंख कहा जाता है।
  • इसमे मामा देव कुंड व झाली रानी का मालिया बना हुआ है।
  • उदयसिंह का राज्यभिषेक तथा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ दुर्ग में हुआा है।

13. बयाना दुर्ग (भरतपुर)

स्थान – भरतपुर, निर्माता -विजयपाल सिंह

  • श्रेणी – गिरी दुर्ग
  • अन्य नाम – शोणितपुर, बाणपुर, श्रीपुर एवं श्रीपथ
  • अपनी दुर्भेद्यता के कारण बादशाह दुर्ग व विजय मंदिर गढ भी कहलाता है।

14. सिवाणा दुर्ग (बाड़मेर)

  स्थान – बाड़मेर, निर्माता – वीर नारायण सिंह पंवार

  •   निर्माण – दसवीं शताब्दी, श्रेणी – गिरी दुर्ग
  •   अन्य नाम – कुमट दुर्ग, जालौर दुर्ग की कुंजी
  • राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  •   इसे मारवाड़ शासकों की संकटकालीन आश्रय स्थली कहते है।
  •   1308 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग पर अधिकार करके दुर्ग का नाम खैराबाद कर दिया था।
  •   इस दुर्ग में दो साके हुए –
    • 1. पहला साका – सन् 1308 ई. में शीतलदेव चैहान के समय आक्रांता अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के कारण।
    • 2. दूसरा साका – वीर कल्ला राठौड़ के समय अकबर से सहायता प्राप्त मोटा राजा उदयसिंह के आक्रमण के कारण साका हुआ। यह साका सन 1565 ई. में हुआ।

15. जालौर दुर्ग (जालौर)

  स्थान -जालौर, निर्माता – परमार वंश

  •   श्रेणी – गिरी दुर्ग
  •   अन्य नाम – जालौर का किला, सुवर्णगिरि, सोनगिरि, सोनल गढ़, जाबालीपुर
  •   इस दुर्ग में मल्लिक शाह की दरगाह स्थित है।
  •   हसन निजामी के अनुसार – “इस दुर्ग का दरवाजा कोई भी आक्रमणकारी नही खोल पाया।“
  •   इस दुर्ग के सामने नटनी की छतरी स्थित है।
  •   साका :- सन् 1311 ई. में कान्हड देव चैहान के समय अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया। इस आक्रमण में कान्हडदेव चैहान व उसका पुत्र वीरदेव वीरगति को प्राप्त हुुए तथा वीरांगनाओं ने जौहर कर लिया। इस साके की जानकारी पद्मनाभ द्वारा रचित कान्हडदेव में मिलती है।

16. भैंसरोड़गढ दुर्ग (चित्तौड़गढ) राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes

  •   बामणी व चम्बल नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण यह दुर्ग जल श्रेणी का दुर्ग है।
  •   भैंसरोडगढ़ दुर्ग को “राजस्थान का वेल्लोर” कहते है।
  •   इस दुर्ग का निर्माता भैसाशाह व रोडावारण को माना जाता है।

17. मांडलगढ़ दुर्ग (भीलवाडा)

  •   इस दुर्ग का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया।
  •   यह दुर्ग जल श्रेणी का दुर्ग है।
  •   मांडलगढ़ दुर्ग बनास, बेडच व मेनाल नदियों के संगम पर स्थित है।
  •   यह दुर्ग सिद्ध योगियों का प्रसिद्ध केन्द्र रहा है।

18. भटनेर दुर्ग (हनुमानगढ़)

  •   इस दुर्ग का निर्माण सन् 285 ई. में भाटी राजा भूपत ने करवाया।
  •   घग्धर नदी के मुहाने पर बसे इस, प्राचीन दुर्ग को ” उत्तरी सीमा का प्रहरी” कहा जाता है।
  •   भटनेर दुर्ग धान्वन श्रेणी का दुर्ग है।
  •   इस दुर्ग को भाटियों की मरोड़ कहते है।
  •   इस दुर्ग पर सर्वाधिक विदेशी आक्रमण हुए –
  • 1. महमूद गजनवी न विक्रम संवत् 1058 (1001 ई.) में भटनेर पर अधिकार कर लिया था।
  • 2. 13 वीं शताब्दी के मध्य में गुलाम वंश के सुल्तान बलवन के शासनकाल में उसका चचेरा भाई शेर खां यहां का हाकिम था।
  • 3. 1398 ई. में भटनेर को प्रसिद्ध लुटेरे तैमूरलंग के अधिन विभीविका झेलनी पड़ी।
  •   बीकानेर के चैथे शासक राव जैतसिंह ने 1527 ई. में आक्रमण कर भटनेर पर पहली बार राठौडों का आधिपत्य स्थापित हुआ। उसने राव कांधल के पोत्र खेतसी को दुर्गाध्यक्ष नियुक्त किया
  • राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  • 4. ह्रमायू के भाई कामरान ने भटनेर पर आक्रमण किया।
  •   सन् 1805 ई. में महाराजा सूरतसिंह द्वारा मंगलवार को जाब्ता खां भट्टी से भटनेर दुर्ग हस्तगत कर लिया। भटनेर का नाम हनुमानगढ़ रखा गया।
  •   तैमूर लंग ने इस दुर्ग के लिए कहा कि ” उसने इतना व सुरक्षित किला पूरे हिन्तुस्तान में कहीं नही देखा।” तैमूरलग की आत्मकथा ” तुजुक-ए-तैमूरी “के नाम से है।
  •   राजस्थान का एकमात्र दुर्ग जहाँ मुस्लिम महिलाओं ने जौहर किया।
  •   इस दुर्ग में दिल्ली सुल्तान गयासुद्दीन बलबन के भाई शेर खां की कब्र तथा गुरु गोरखनाथ का मंदिर है।

19. भरतपुर दुर्ग (भरतपुर)

  •   इस दुर्ग का निर्माण सन् 1733 ई. में राजा सूरजमल ने करवाया था।
  •   मिट्टी से निर्मित यह दुर्ग अपनी अजेयता के लिए प्रसिद्ध है।
  •   किले के चारों ओर सुजान गंगा नहर बनाई गई जिसमे पानी लाकर भर दिया जाता था।
  •   यह दुर्ग पारिख श्रेणी का दुर्ग है।
  •   मोती महल, जवाहर बुर्ज व फतेह बुर्ज (अंग्रेजों पर विजय की प्रतीक है।
  • राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  •   सन् 1805 ई. में अंग्रेज सेनापति लार्ड लेक ने इस दुर्ग को बारूद से उडाना चाहा लेकिन असफल रहा।
  •   इस दुर्ग में लगा अष्टधातू का दरवाजा महाराजा जवाहर सिंह 1765 ई. में ऐतिहासिक लाल किले से उतार लाए थे। (Forts of Rajasthan)
  •   प्रचलित कहावत – “8 फिरंगी, 9 गौरा लड़े जाट का 2 छोरा।“

20. चुरू का किला (चुरू)

  •   धान्व श्रेणी के इस दुर्ग का निर्माण ठाकुर कुशाल सिंह ने करवाया।
  •   महाराजा शिवसिंह के समय बारूद खत्म होने पर यहां से चांदी के गोले दागे गए।

21. जूनागढ़ दुर्ग (बीकानेर)

  •   यह दुर्ग धान्व श्रेणी का दुर्ग हैं।
  •   लाल पत्थरों से बने इस भव्य किले का निर्माण बीकानेर के प्रतापी शासक रायसिंह ने करवाया।
  •   इस दुर्ग की निर्माण शैली में मुगल शैली का समन्वय है।
  •   अन्य नाम – जमीन का जेवर, लालगढ़ दुर्ग
  •   इस दुर्ग को अधगढ़ किला कहते हैं।
  • राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  •   सूरजपोल के दोनों तरफ 1567 ई. के चित्तौड़ के साके में वीरगति पाने वाले दो इतिहास प्रसिद्ध वीरों जयमल मेडतियां और उनके बहनोई आमेर के रावत पता सिसोदिया की गजारूढ मूर्तियां स्थापित है।
  •   दर्शनिय स्थल –  हेरम्भ गणपति मंदिर, अनूपसिंह महल, सरदार निवास महल

22. नागौर दुर्ग (नागौर)

  •   अन्य नाम – नागाणा व अहिच्छत्रपुर
  •   शीश महल, बादल महल, शुक्र तालाब, 16 खम्बो की छतरी (अमरसिंह की छतरी) स्थित।
  •   अमर सिंह राठौड़ की वीर गाथाएं इस दुर्ग से जुडी है।
  •   नागौर दुर्ग को एक्सीलेंस अवार्ड मिला है।

23. अचलगढ़ दुर्ग (सिरोही)

  •   परमार वंश के शासकों द्वारा 900 ई. के आसपास निर्माण करवाया गया।
  •   इस दुर्ग को आबु का किला भी कहते हैं

दर्शनीय स्थल –
1. अचलेश्वर महादेव मंदिर – शिवजी के पैर का अंगूठा प्रतीक के रूप में विद्यमान है।
2. भंवराथल – गुजरात का महमूद बेगडा जब अचलेश्वर के नदी व अन्य देव प्रतिमाओं को खण्डित कर लौट रहा था तब मक्खियों न आक्रमणकारियों पर हमला कर दिया। इस घटना की स्मृति में वह स्थान आज भी भंवराथल नाम से प्रसिद्ध है।
3. मंदाकिनी कुण्ड – आबू पर्वतांचल में स्थित अनेक देव मंदिरों के कारण आबू पर्वत को हिन्दू ओलम्पस (देव पर्वत) कहा जाता है।

24. शेरगढ़ दुर्ग (धौलपुर)

  •   इस दुर्ग का निर्माण कुशाण वंश के शासन काल में करवाया था। शेरशाह सूरी ने इस दुर्ग का पुनर्निर्माण करवाकर इसका नाम शेरगढ़ रखा।
  • राजस्थान के दुर्ग/किले | Forts of Rajasthan Notes
  •   महाराजा कीरतसिंह द्वारा निर्मित “हुनहुंकार तोप” इसी दुर्ग में स्थित है।

25. शेरगढ़ दुर्ग (बांरा)

  •   यह दुर्ग परवन नदी के किनारे स्थित है। हाडौती क्षेत्र का यह दुर्ग कोशवर्धन दुर्ग के नाम से भी प्रसिद्ध है।

26. चैमू का किला (जयपुर)

  •   इस किले का निर्माण ठाकुर कर्णसिंह ने करवाया।
  •   अन्य नाम- चोमूहांगढ़, धाराधारगढ़ तथा रधुनाथगढ।

27. कांकणबाडी का किला (अलवर)

  • इस किले में औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को कैद करके रखा था। (Forts of Rajasthan)

राजस्थान के अन्य दुर्ग

  1. कोटडा का किला – बाडमेर
  2. खण्डार दुर्ग-सवाई माधोपुर-शारदा तोप इस दुर्ग में स्थित है।
  3. माधोराजपुरा का किला – जयपुर
  4. कंकोड/कनकपुरा का किला – टोंकटों
  5. शाहबाद दुर्ग – बांरा -नवलवान तोप इस दुर्ग में स्थित है।
  6. बनेडा दुर्ग – भीलवाडा
  7. बाला दुर्ग – अलवर
  8. बसंतगढ़ किला – सिरोही

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